श्री हनुमंत तपोभूमि चालीसा : भजन सुनना और गाना आत्मा को शांति, प्रेम और भक्ति से भर देता है। दीक्षास्थल पर भक्तिमय भजनों का संग्रह पाएँ और अपने मन को भगवान की भक्ति में लीन करें।
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है।
।। श्री हनुमंत तपोभूमि चालीसा।।
श्री गुरुदेव परम पद, सुमिरौ बारंबार।
हाथ जोड़ विनती करूं, दीजै ज्ञान अपार।।
सुखईखेड़ा तपस्थली, के हनुमंत महाराज।
कृपा करहु मोपे सदा, पूरण कीजे काज।
1- हनुमत तपोभूमि अविनाशी।
कृपा करहुॅं हनुमंत प्रकाशी।।
2- श्री हनुमंत दूत गुण स्वामी।
इच्छा रुप सदा वरदानी।।
3- महाबीर है तुम्हरौ नामा।
पूरन हौवे सबके कामा।।
4- जो कोई तपोभूमि में आवे।
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।।
5- तुम्हरौ ज्ञान भक्ति से पावे।
तुम्हरौ रुप लख्या न जावे।।
6- कमल सद्श दो नयन विशाला।
स्वर्ण मुकुट तुलसी कै माला।।
7-दूध व गुण मिष्ठान प्रवीण ।
भेट चढ़ावे धनी व दीना।।
8- घट घट के तुम अंतर्यामी।
वेदौ तक ना महिमा जानी।।
9- तुम्हारी कृपा संत हितकारी।
मंगल करण अमंगल हारी।।
10- हनुमत अतुलित बल के धामा।
मंगलकारी तुम्हारो नामा ।।
11- सन्याशी बाबा जी गुड़ीले।
तपोभूमि हनुमंत रंगीले।।
12- ऊॅंची ध्वजा पताका नभ में।
महिमा है अपार कलयुग में।।
13- धर्म सत्य का डंका बाजे।
प्रभुवर सीतारामहि राजे।।
14- सियाराम के प्राण पियारे।
तपोभूमि जय भक्ता उचारे।।
15- हनुमत तपोभूमि कल्याणा।
सदा मनोरथ पुरण कामा।।
16- संकट दुःख भंजन भगवाना।
दया करहु प्रभ तुम बलवाना।।
17- सिद्धि आठ है मंगलकारी।
नव निधि के दाता दुखहारी।।
18- जो यह भजन हमशा गावे।
सो चारौं निश्चय फल पावे।।
19- दर्शन गुरु महंत जब कीन्हा।
राम दरश का बर है दीन्हा।।
20- कृपा तुम्हारी तै दर्शन भयऊ।
दुई हजार बाइस जब अयऊ।।
21- पूरन आस दास की कीजे।
सेवक जान ज्ञान तो दीजे।।
22- हठि हठि हे हनुमंत हठीले।
मार मार वैरी के कीले।।
23-भक्ति युक्ति के आप प्रकाशा।
करो गुरु महंत तन बासा ।।
24- तपोभूमि प्रभु हिय कल्याणा।
सुखईखेड़ा सुंदर घामा।।
25- राम के प्रिय हनुमंत गोसाईं।
कृपा करहु संतन की नाई।।
26- सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।
कृपा सिंधु भक्ति ब्रह्मचारी।।
27- हनुमतेश्वर प्रभु नाम तुम्हारा।
पापी दुष्ट अधम को तारा।।
28- कोटिन रवि सम तेज तुम्हारा।
है प्रसिद्धि जगत उजियारा।।
29- चल चल चल हनुमंत विकाला
दुश्मन मारि के करो बेहाला।।
30- प्रातकाल ले नाम तुम्हारा।
बढ़े सिद्धि अरु भक्ति प्रचारा।।
31- दीनबंधु दीनन हितकारी।
पाप हरो मम शरण तुम्हारी।।
32- अति विशाल है ज्ञान तुम्हारा।
सुर नर मुनि न पावे न पारा।।
33- तपोभूमि सबके मन भायी।
सुखईखेड़ा तीर्थ बनायी।।
34- प्रभु हनुमंत क जो कोई ध्यावे।
दिव्य अलकिक दर्शन पावे।।
35- जो शनिवार का अर्जी लगावे।
श्रद्धा भक्ति से भेंट चढ़ावे।।
36- राम भक्त के सदा सहाई।
गुरु महंत के भाग्य जगाई।।
37- जो जन अति संकट में होई।
दूरी कृपा हनुमत से होई।।
38- जो शत बार पाठ कर कोई।
मनोकामना पुरी होई ।।
39- पढ़े चालीसा जो मन लायी।
तापर श्री हुनुमंत सहायी।।
40- गुरु महंत सदा हिय चेरा।
सीताराम हृदय मम डेरा।।
।।दोहा।।
जयति हनुमतेश्वर प्रभो , सब संकट को टार l
शरणागत प्रिय दास सम, राखो बारंबार ll
रचनाकार (कथा प्रवक्ता) श्री हनुमंत तपोभूमि हनुमतेश्वर पीठाधीश्वर पूज्य गुरु महॅंत बाबा
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है।
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