श्री राधा हमारी गोरी गोरी के नवल किशोरी : भजन सुनना और गाना आत्मा को शांति, प्रेम और भक्ति से भर देता है। दीक्षास्थल पर भक्तिमय भजनों का संग्रह पाएँ और अपने मन को भगवान की भक्ति में लीन करें।
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है। दीक्षास्थल पर आप अपने नाम जाप की गिनती और साधना को संजो सकते हैं, जिससे नियमितता और अनुशासन बनता है।
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल किशोरी,
कन्हैया तेरो कारो है।
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उजियारो,
श्री राधा जी को प्यारो है॥
श्री श्यामा किशोरी,
गोरे मुख पे तिल बनेओ, ताहि करूँ मैं प्रणाम।
मानो चन्द्र बिछाई के पौढ़े सालगराम॥
राधे तू बड़भागिनी, कौन तपस्या कीन,
तीन लोक का रणतरण, वो तेरे आधीन॥
कीर्ति सुता के पग पग में प्रयागराज,
केशव की केलकुंज, कोटि कोटि काशी है।
यमुना में जगनाथ, रेणुका में रामेश्वर,
थर थर पे पड़े रहें अयोध्या के वासी हैं॥
गोपिन के द्वार-द्वार हरिद्वार वसत यहाँ,
बद्री केदारनाथ फिरत दास-दासी हैं।
स्वर्ग अपवर्ग सुख लेकर हम करें कहाँ,
जानते नहीं हम वृन्दावन वासी हैं॥
योगी जन जान पाते है ना जिस का प्रभाव,
जिस की कला का पार शारदा न पाती है।
नारद आदि ब्रह्मवादीयों ने भी न पाया तत्व,
दिव्य शक्तियां भी नित्य गुण गाती हैं॥
शंकर समाधि में ढूँढते हैं जिसको,
श्रुतियां भी "नेति नेति" कह हार जाती हैं।
वो नाना रूप धारी विष्णु मोहन मुरारी,
उस विश्व के मदारी को गोपियाँ नाचती हैं॥
श्याम तन श्याम मन, श्याम ही हमारो धन,
आठों याम उधो हमें श्याम ही सो काम है।
श्याम हिये श्याम जिए, श्याम बिनु नहीं पिए,
अंधे की सी लाकड़ी आधार श्याम नाम है॥
श्याम गति श्याम मति, श्याम ही है प्राणपति,
श्याम सुखधाम सो भलाई आठो याम है।
उधो तुम भये भोरे, पाती ले के आये दोड़े,
योग कहाँ राखें, यहाँ रोम रोम श्याम है॥
गँवार से राजकुमार भये,
जब भानु के द्वार लो आन लगें हैं।
बांसुरी की उभरी है कला,
जब किरिती किशोरी के गाने लगें हैं॥
राधिका के संग फेरे पड़े,
तब से कहना इतराने लगें हैं॥
हमरी राधा की कौन करे होड़,
सुनो रे प्यारे नन्द गईया।
राधा हमारी भोरी भारी,
यो तो छलिया माखन चोर॥
देखो तेरे कनुआ की छतरी पुरानी,
वा की छतरी की कीमत करोड़।
चार टके की तेरी कारी कमरिया,
या की चुनरी की कीमत करोड़॥
देखो तेरे कनुआ को मुकुट झुको है,
हमरी राधा के चरणन की ओर॥
ब्रजमंडल के कण कण में बसी तेरी ठकुराई।
कालिंदी की लहर लहर ने, तेरी महिमा गाई॥
पुलकत हो तेरा यश गावे, श्री गोवर्धन गिरिराई।
ले ले नाम तेरो, मुरली में नाचे कुवर कहनाई॥
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है। दीक्षास्थल पर आप अपने नाम जाप की गिनती और साधना को संजो सकते हैं, जिससे नियमितता और अनुशासन बनता है।
हमारे साथ जुड़ें और अपनी आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाएं। अभी लॉगिन करें!
साइन अप करें लॉगिन करें