रुद्रा अष्टकम : भजन सुनना और गाना आत्मा को शांति, प्रेम और भक्ति से भर देता है। दीक्षास्थल पर भक्तिमय भजनों का संग्रह पाएँ और अपने मन को भगवान की भक्ति में लीन करें।
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है। दीक्षास्थल पर आप अपने नाम जाप की गिनती और साधना को संजो सकते हैं, जिससे नियमितता और अनुशासन बनता है।
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहं ॥1॥
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं, गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशं।
करालं महाकाल कालं कृपालं, गुणागार संसारपारं नतोऽहं ॥2॥
तुषाराद्रि संकाश गौरं गम्भीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्रीशरीरं।
स्फुरंमौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भालबालेन्दु कंठे भुजंगा ॥3॥
चलत्कुंडलं भ्रू सुनेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकंठं दयालं।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुंडमालं, प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥4॥
प्रचंडं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं, अखंडं अजं भानुकोटिप्रकाशं।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यं ॥5॥
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सज्जनानंददाता पुरारि।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारि ॥6॥
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजंतीह लोके परे वा नराणां।
न तावत्सुखं शांति संतापनाशं, प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ॥7॥
न जानामि योगं जपं नैव पूजां, नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यं।
जरा जन्म दुखौघ तातप्यमानं, प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥8॥
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है। दीक्षास्थल पर आप अपने नाम जाप की गिनती और साधना को संजो सकते हैं, जिससे नियमितता और अनुशासन बनता है।
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