श्री राम स्तुति : भजन सुनना और गाना आत्मा को शांति, प्रेम और भक्ति से भर देता है। दीक्षास्थल पर भक्तिमय भजनों का संग्रह पाएँ और अपने मन को भगवान की भक्ति में लीन करें।
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है। दीक्षास्थल पर आप अपने नाम जाप की गिनती और साधना को संजो सकते हैं, जिससे नियमितता और अनुशासन बनता है।
दोहा
श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन,
हरण भवभय दारुणम् ।
नवकंज-लोचन, कंज-मुख,
कर-कंज, पद-कंजारुणम् ॥१॥
कन्दर्प अगणित अमित छवि,
नव नील-नीरद सुन्दरम् ।
पट पीत मानहुँ तडित रुचि,
शुचि नौमि जनक सुतावरम् ॥२॥
भजु दीनबंधु, दिनेश, दानव-
दैत्य वंश निकन्दनम् ।
रघुनन्द, आनन्द कन्द, कोशल-
चन्द दशरथ नन्दनम् ॥३॥
शिर मुकुट, कुण्डल, तिलक चारु,
उदारु अङ्ग विभूषणम् ।
आजानुभुज शर चापधर,
संग्राम जित खर-दूषणम् ॥४॥
इति वदति तुलसीदास शंकर-
शेष मुनि मन रंजनम् ।
मम् हृदय कंज निवास कुरु,
कामादि खल-दल गंजनम् ॥५॥
मन जाहि राचेउ मिलहि सो,
वर सहज सुन्दर सावरों ।
करुणा निधान सुजान शील,
स्नेह जानत रावरो ॥६॥
एहि भाँति गौरी असीस सुनि,
सिय सहित हिय हरषित अली ।
तुलसी भवानीहि पूजी पुनि-पुनि,
मुदित मन मन्दिर चली ॥७॥
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सोरठा
जानी गौरी अनुकूल, सिय
हिय हरषु न जाइ कहि ।
मंजुल मंगल मूल, वाम
अङ्ग फरकन लगे ॥
नाम जाप एक साधारण किंतु अत्यंत गहन आध्यात्मिक साधना है। जब हम बार-बार भगवान के नाम या मंत्र का स्मरण करते हैं, तो मन शांत होता है और आत्मा में भक्ति का भाव जाग्रत होता है। दीक्षास्थल पर आप अपने नाम जाप की गिनती और साधना को संजो सकते हैं, जिससे नियमितता और अनुशासन बनता है।
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