मणिबंध शक्तिपीठ✨📍 अजमेर में सिर्फ दरगाह नहीं… शक्तिपीठ भी है — लेकिन कौन जानता है?अजमेर…जिसे सुनते ही दुनिया ख्वाजा साहब की दरगाह याद करती है।लाखों...
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मणिबंध शक्तिपीठ
✨📍 अजमेर में सिर्फ दरगाह नहीं… शक्तिपीठ भी है — लेकिन कौन जानता है?
अजमेर…
जिसे सुनते ही दुनिया ख्वाजा साहब की दरगाह याद करती है।
लाखों लोग दूर-दूर से आते हैं।
लेकिन अजीब बात यह है कि उसी अजमेर के पास, पुष्कर में माता सती का एक शक्तिपीठ है — मणिबंध शक्तिपीठ।
जहाँ माना जाता है कि माता सती की कलाई (मणिबंध) गिरी थी।
यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है।
यह स्थान शक्ति और ब्रह्म तत्व का संगम है।
यह स्थान सनातन की धरोहर है।
लेकिन — कितने लोगों को इसके बारे में पता है?
क्यों?
क्योंकि हमें बताया गया अजमेर का नाम → दरगाह
लेकिन नहीं बताया गया → अजमेर का शक्तिपीठ।
हज़ारों टूरिस्ट वहाँ पहुँचते हैं…
लेकिन कुछ ही कदम आगे पुष्कर के इस दिव्य शक्तिपीठ तक नहीं जाते।
यह सिर्फ भूल नहीं — हमारी सांस्कृतिक चेतना में एक खालीपन है।
और अब समय है — उसे भरने का।
🙏 आइए —
✨ अपने सनातन धरोहर को जानें,
✨ अपने शक्तिपीठों को पहचानें,
✨ और अपनी आने वाली पीढ़ियों को बताएं कि —
“भारत केवल भौगोलिक भूमि नहीं — यह शक्ति की चेतना है।”
अगर आप कभी अजमेर जाएं —
सिर्फ तस्वीरें न लें…
माता के दरबार में प्रणाम जरूर करें।
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✨📍 अजमेर में सिर्फ दरगाह नहीं… शक्तिपीठ भी है — लेकिन कौन जानता है?
अजमेर…
जिसे सुनते ही दुनिया ख्वाजा साहब की दरगाह याद करती है।
लाखों लोग दूर-दूर से आते हैं।
लेकिन अजीब बात यह है कि उसी अजमेर के पास, पुष्कर में माता सती का एक शक्तिपीठ है — मणिबंध शक्तिपीठ।
जहाँ माना जाता है कि माता सती की कलाई (मणिबंध) गिरी थी।
यह स्थान 51 शक्तिपीठों में से एक है।
यह स्थान शक्ति और ब्रह्म तत्व का संगम है।
यह स्थान सनातन की धरोहर है।
लेकिन — कितने लोगों को इसके बारे में पता है?
क्यों?
क्योंकि हमें बताया गया अजमेर का नाम → दरगाह
लेकिन नहीं बताया गया → अजमेर का शक्तिपीठ।
हज़ारों टूरिस्ट वहाँ पहुँचते हैं…
लेकिन कुछ ही कदम आगे पुष्कर के इस दिव्य शक्तिपीठ तक नहीं जाते।
यह सिर्फ भूल नहीं — हमारी सांस्कृतिक चेतना में एक खालीपन है।
और अब समय है — उसे भरने का।
🙏 आइए —
✨ अपने सनातन धरोहर को जानें,
✨ अपने शक्तिपीठों को पहचानें,
✨ और अपनी आने वाली पीढ़ियों को बताएं कि —
“भारत केवल भौगोलिक भूमि नहीं — यह शक्ति की चेतना है।”
अगर आप कभी अजमेर जाएं —
सिर्फ तस्वीरें न लें…
माता के दरबार में प्रणाम जरूर करें।
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