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महालक्ष्मी शक्तिपीठ — सिलहट , बांग्लादेश

Bhabanipur Shaktipeeth (Mahalakshmi Temple), Bhabanipur Village, Sherpur Upazila,
, Sylhet Division, Bangladesh

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✨ परिचय
51 शक्तिपीठों में से एक अत्यंत पावन और सिद्ध आध्यात्मिक धाम है — श्री शैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ (Mahalakshmi Shaktipeeth, Shri Shail)। यह बांग्लादेश के सिलहट (Sylhet) क्षेत्र में स्थित है और उन स्थानों में गिना जाता है जहाँ माता सती का ग्रीवा-भाग (गर्दन) गिरा था, इसलिए इसे “महालक्ष्मी ग्रीवा पीठ” भी कहा जाता है।
यह शक्तिपीठ माता को मुख्य रूप से “महालक्ष्मी” के नाम से पुकारता है और यहाँ भैरव के रूप में “संभरानन्द/सम्बरानन्देश्वर” की आराधना की जाती है।

📖 पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, राजा दक्ष के यज्ञ में भगवान शिव और माता सती का अपमान होने पर सती ने अपने प्राण त्याग दिए।
भगवान शिव ने शोकाकुल होकर सती का शरीर उठाया और तांडव करने लगे, तब सृष्टि की रक्षा हेतु भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के अंग विभिन्न स्थानों पर गिराए, जो आगे चलकर शक्तिपीठ कहलाए।
श्री शैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ वह पवित्र स्थान माना जाता है जहाँ माता सती की ग्रीवा (neck/ग्रीवा) गिरी, इसलिए यहाँ की शक्ति को ग्रीवा-पीठ के रूप में विशेष महत्व दिया जाता है।

🌺 देवी का स्वरूप

इस शक्तिपीठ में माता मुख्य रूप से धन, सौभाग्य और करुणा की अधिष्ठात्री रूप में पूजी जाती हैं:

  • महालक्ष्मी – समृद्धि, सौभाग्य, धन और सुख-शांति की दात्री।

  • श्री शैल की देवी – पर्वत-सदृश अडिग शक्ति, जो साधक को स्थिरता और धैर्य प्रदान करती है।

(यदि चाहें तो आप ऊपर के सेक्शन में भवानी/अर्पणा वाले हिस्से हटा कर केवल महालक्ष्मी पर केंद्रित रख सकते हैं, ताकि जगह-जगह भ्रम न हो।)

🔱 भैरव स्वरूप

यहाँ के भैरव, देवी के रक्षक और न्यायकारी रूप में पूजे जाते हैं:

  • संभरानन्द / सम्बरानन्देश्वर

    • साहस, संरक्षण और धर्म-स्थापना के प्रतीक

    • साधक की भय, बाधा और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करने वाले माने जाते हैं

🛕 मंदिर वातावरण और स्थापत्य

  • मंदिर परिसर अपेक्षाकृत शांत, आध्यात्मिक और हरियाली से घिरा हुआ क्षेत्र माना जाता है।

  • गर्भगृह में महालक्ष्मी स्वरूप की स्थापना है, जिसके आगे साधक जप, ध्यान और नित्य पूजा करते हैं।

  • परिसर में शिव/भैरव मंदिर और छोटे-छोटे वेदी-स्थलों के साथ हवन–कुण्ड और साधना के लिए उपयुक्त स्थान मिलते हैं।

  • नवरात्रि, अमावस्या और विशेष शक्ति-पर्वों पर कई साधु-साधक यहाँ आकर जप, हवन और ध्यान में लीन होते हैं।

🙏 पूजा और त्योहार

यहाँ देवी-उपासना से जुड़े कई प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं, जिन्हें आप अपने लेख में तालिका के रूप में रख सकते हैं:

पर्वविशेषता
नवरात्रिनौ दिनों तक महालक्ष्मी पूजा, पाठ, हवन और शक्ति-साधना
दीपावली/कोजागरीलक्ष्मी-पूजन, धन और समृद्धि के लिए विशेष आराधना
शिवरात्रिशिव–शक्ति एकत्व की उपासना, रात्रि-जागरण और अभिषेक
आश्विन पूर्णिमाविशेष पूजन, दीपदान और सामूहिक भक्ति कार्यक्रम

(आप चाहें तो “चैत्र/शारदीय नवरात्र” दोनों को अलग-अलग पंक्ति में भी जोड़ सकते हैं।)

🚗 कैसे पहुँचे (How to Reach Mahalakshmi Shaktipeeth, Sylhet)

आपका पुराना सेक्शन बोगरा–भवानीपुर के लिए है, उसे महालक्ष्मी शक्तिपीठ के लिए इस तरह अपडेट कर सकते हैं:

✈️ हवाई यात्रा

  • निकटतम बड़ा एयरपोर्ट: Osmani International Airport, Sylhet (Bangladesh)

  • वहाँ से लगभग कुछ किलोमीटर की दूरी पर, दक्षिण/दक्षिण-पूर्व दिशा में स्थित श्री शैल/महालक्ष्मी शक्तिपीठ तक स्थानीय टैक्सी, ऑटो या रेंटल गाड़ी से पहुँचा जा सकता है।

🚆 रेल मार्ग

  • नज़दीकी प्रमुख रेलवे स्टेशन: Sylhet Railway Station

  • स्टेशन से मंदिर तक सड़क मार्ग द्वारा लोकल ऑटो, टैक्सी या बस उपलब्ध रहती है।

🚌 सड़क मार्ग

  • ढाका, चिटगाँव या अन्य शहरों से सिलहट के लिए बस/प्राइवेट वाहन

  • सिलहट शहर से Dakshin Surma/Joinpur/Gotatikar क्षेत्र की ओर जाएँ, स्थानीय भक्त/गाइड के मार्गदर्शन से श्री शैल महालक्ष्मी मंदिर पहुँचा जा सकता है।

(आप चाहें तो भारत से अगरतला/करिमगंज/शिलांग–सिलहट रूट का अलग सेक्शन लिख सकते हैं।)

⭐ क्यों जाएँ?

  • यह स्थान ग्रीवा-पीठ होने के कारण शक्ति-साधना, जप और दीर्घकालिक आध्यात्मिक अभ्यास के लिए अत्यंत उपयुक्त माना जाता है।

  • धन, सौभाग्य, व्यवसाय/रोज़गार की उन्नति और गृह-शांति के लिए भक्त विशेष रूप से महालक्ष्मी की आराधना करने यहाँ आते हैं।

  • अपेक्षाकृत शांत और आंतरिक साधना-केंद्रित वातावरण गंभीर साधकों, ध्यान करने वालों और शाक्त-भक्तों के लिए अनुकूल माना जाता है।

🪔 निष्कर्ष

श्री शैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ केवल एक मंदिर न होकर देवी शक्ति के समृद्धि और संरक्षण स्वरूप का जीवंत केंद्र माना जाता है।
महालक्ष्मी की कृपा, साधक के जीवन में स्थिरता, सौभाग्य और आध्यात्मिक संतुलन लाने वाली मानी जाती है; इसलिए जो भी साधक शक्ति-साधना और लक्ष्मी-तत्व के गहन अनुभव की खोज में हो, उसके लिए यह तीर्थ जीवन में अवश्य एक बार दर्शन योग्य है।

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